इनकम टैक्स डिपार्टमेंट काले धन को रुकने के लिए हर साल अपने कानून में संशोधन करते रहता है | पिछले कुछ वर्षों में डिपार्टमेंट ने काफी बदलाव किए हैं और कानून को काफी सख्त किया है | इसमें सबसे बड़ा बदलाव नगद यानी कैश में प्रॉपर्टी की खरीदी बिक्री पर रोक लगाना है |
ऐसी ही कुछ बातों पर हमने नीचे चर्चा करी है जो आपकी काम आएगी
धारा 269SS और धारा 269T :-
इन धाराओ के तहत कोई कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से ₹20,000 से ज्यादा, किसी प्रकार का लोन या डिपाजिट नहीं ले सकता और अगर वह लेता है तो उसे पूरी राशि पर 100% पेनल्टी लगेगी |इस धारा में संशोधन करके इसमें प्रॉपर्टी खरीदी बिक्री भी जोड़ी गई है| इस धारा के तहत अगर कोई भी अपनी जमीन बेचते समय ₹20,000 से ज्यादा की रकम नगद लेता है तो उसे पूरी रकम पर पेनाल्टी पटानी पड़ेगी| अगर आपने किसी से पहले नगद में एडवांस ले रखा है और अगर यह राशि में 20,000 से ज्यादा की है तो आपको उसे बैंक माध्यम से ही वापस कर सकते है अन्यथा इस पर भी आप को 100% पैनल्टी पटानी पड़ेगी
यह कानून 1 june 2015 से लागू है |
टैक्स डिडक्शन एट सोर्स यानी टीडीएस काटने की जिम्मेदारी
अगर आप कोई भी जमीन, मकान 50 लाख की राशि से ज्यादा का खरीदते हैं तो आपको खरीदी मूल्य का 1% टीडीएस काट कर बेचने वाले के नाम पर जमा करवाना पड़ेगा| उदाहरण के रूप में देखें तो अगर आप किसी से 70 लाख की जमीन खरीदते हैं तब उसके ऊपर एक 1% यानि ₹70,000 आपको टीडीएस के रूप में जमा करवाना पड़ेगा| यह राशि अगर आप सामने वाले को एडवांस देते हैं तब भी आप को काटनी पड़ेगी| यह राशि काटने के बाद अगले माह की 7 तारीख तक आप को जमा करना अनिवार्य है और ऐसा नहीं करने पर आपको 1.5% प्रतिमाह के दर से ब्याज पटाना पड़ेगा | इसके अलावा ₹200 प्रति दिन की पेनाल्टी भी लागू होगी |यानी अगर आप अपना टीडीएस रिटर्न 7 तारीख के बदले 15 तारीख को भरते हैं तो 8 दिन का ₹200 प्रतिदिन के हिसाब से 1600 रुपए आपको फाइन पटाना पड़ेगा| अगर आप किसी से 50 लाख राशि की जमीन खरीदते हैं उनका टीडीएस निश्चित तौर पर कांटे|
पैन नंबर की जानकारी देना
अगर आप 10 लाख से ज्यादा कि कोई भी प्रॉपर्टी खरीदी बिक्री करते हैं आपको उसके साथ अपना पैन नंबर भी देना अब अनिवार्य हो गया है |
स्टांप ड्यूटी वैल्यू से कम वैल्यू पर रजिस्ट्री कराने आयकर
अगर आपकी प्रॉपर्टी के स्टांप ड्यूटी वैल्यू 15 लाख है और अगर आप इसे मात्र 12 लाख में खरीदते हैं तब डिफरेंस शेष 3 लाख को आपकी आय मानी जाएगी और उस पर आपकी टैक्स की देनदारी निकलेगी| आयकर विभाग का यह मानना है कि अगर आप की प्रॉपर्टी महंगी की है तो आपने उसे सस्ते में क्यों बेचा या खरीदा | ऐसा माना जाएगा कि विक्रेता को आपने शेष राशि नगर में दी है जो आपकी बिना टैक्स की’ आय की राशि है |
बिक्री पर स्टांप ड्यूटी वैल्यू पर टैक्स
अगर आप की प्रॉपर्टी कि स्टाम्प ड्यूटी वैल्यू या रजिस्ट्री वैल्यू 20 लाख है और आप अगर उसे 15 लाख मात्र में बेचते हैं तब भी आपका सेल अमाउंट 20 लाख माना जाएगा और उस 20 लाख के ऊपर ही आपकी कैपिटल गेन की देनदारी होगी|
फेयर’ मार्केट वैल्यू पर बदलाव
1 अप्रैल 2017 से पहले जिस भी प्रॉपर्टी की बिक्री होती थी और यदि वह प्रॉपर्टी 1 अप्रैल 1981 से पहले की खरीदी की है तब हम उसकी 1 अप्रैल 1981 की कीमत को बेस वैल्यू मानते थे और उस कीमत पर इंडेक्सेशन लगाकर शेष राशि पर हम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पटाते थे | आयकर कानून में 1 अप्रैल 2017 से इस में संशोधन किया है और अब हम 1 अप्रैल 1981 के बदले 1 अप्रैल 2001 की फेयर मार्केट वैल्यू को बेस वैल्यू मानेंगे और उस पर इंडेक्सेशन लगाकर शेष राशि पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की देनदारी होगी |
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